ख़्वाब देखती हूँ मैं हर लम्हा कि होगी इक ऐसी भोर खुशियों को मिलेगा रस्ता, ग़मों का ना होगा शोर दिलों में सिर्फ़ होगा प्यार और सौहार्द सभी के लिए उल्लास और खिलखिलाहटों का सदा चलेगा दौर ❤प्रतियोगिता-564❤ 👍🏻चित्र प्रतियोगिता - 162👍🏻 🤗आज की चित्र प्रतियोगिता के अंतर्गत आपको चित्र को ध्यान में रखते हुए लिखना है I ध्यान रहे कि शब्द सीमा चित्र के ऊपर ही अंकित हो सके उतनी रहे I🤗 🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दी हुई चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।