शून्य ही आरंभ है, शून्य पर ही अंत है, प्यासी है भक्ति शून्य की, बस शून्य ही अनंत हैं। शून्य से ही आए हो, और शून्य ही हो जाओगे, यही तो है ज़िंदगी, यही तो मूल मंत्र है।। जमा घटा के हिसाब से, औकात तोलते हो तुम, लगा शून्य पीछे अंकों के, घमंड से बोलते हो तुम। इच्छाओं का जहाज़ तुम्हासंरा, शून्य में खो जाएगा, बदलेगा जब जगह अपनी, और शून्य आगे आएगा। पीछे कर मानवता को, तुम जितने शून्य बढ़ा ओगे, कर गुणा जीवन शून्य से, तुम शून्य ही हो जाओगे।। चाहते हो भारत वर्ष को, तो देश का सम्मान बनो, शून्य कर दुश्कर्मो को, मानव मूल्यों की पहचान बनो। करदो शून्य उस सोच को, जो धर्म की गुलाम है, सर्वप्रथम हो रक्षा समाज की, यही इंसानियत का काम है।। आओ हम सब मिल, अर्थ हीन ढकोसलों का बहिष्कार करें, जहां से समानता जन्म ले, ऐसे शून्य का आविष्कार करें।। शून्य मानव निर्माण का पुराण है, स्वयं में संपूर्ण ग्रंथ है, कभी बेसुध सी यह शांति है, कभी बे अर्थ यह घमंड है। सही उपयोग सीख शून्य का, तुम अपना भाग्य बनाओगे, यही तो है ज़िंदगी, यही तो मूल मंत्र है।। #shaayavita #shoonya #शून्य #zero #arth #jeevan #reality #end #beginning #nojoto