आज़ाद हो गई उन ग़मो से जिनकी परेशां होने की कोई वजह नहीं थी।। क्योकि जिस सोच के साथ जी रही थी # वो सोच ही बे वजह थी।। अब तो यही दुआ मांगी हैं # नए साल की तरह नई उम्मीद होगी।। अब तो मेरी हार मे भी जीत होगी।। शायद इसलिए ही मेरे ग़मो की कोई दवा ही नहीं बनी थी।। 🖋 ©Naurin Ansari गहरी बातें 💯मेरी क़लम से 🖋 #reading