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उफ़्फ़! क्यूँ है तू इतनी मुझसे ख़फ़ा ख़फ़ा ए ज़िंदगी! बता

उफ़्फ़! क्यूँ है तू इतनी
मुझसे ख़फ़ा ख़फ़ा ए ज़िंदगी!
बता भी तुझे क्या चाहिए।

घड़ी भर दम लेने दे मुझे
शिकायतें करें रफा दफा आ कर 
मुझसे मिल चेहरा खिला चाहिए

कभी तू रूठे कभी मैं ख़फ़ा
रूठने मनाने में कट रही मुसलसल उम्र
मुझे उल्फ़त का अब सिला चाहिए

उतार भी गले से बेदर्दी का तमगा
सुन बेरहम तू मान ले मेरी बात
अब से दिल से तेरा दिल मिला चाहिए
 उफ़्फ़! क्यूँ है तू इतनी
मुझसे ख़फ़ा ख़फ़ा ए ज़िंदगी!
बता भी तुझे क्या चाहिए।

घड़ी भर दम लेने दे मुझे
शिकायतें करें रफा दफा आ कर 
मुझसे मिल चेहरा खिला चाहिए
उफ़्फ़! क्यूँ है तू इतनी
मुझसे ख़फ़ा ख़फ़ा ए ज़िंदगी!
बता भी तुझे क्या चाहिए।

घड़ी भर दम लेने दे मुझे
शिकायतें करें रफा दफा आ कर 
मुझसे मिल चेहरा खिला चाहिए

कभी तू रूठे कभी मैं ख़फ़ा
रूठने मनाने में कट रही मुसलसल उम्र
मुझे उल्फ़त का अब सिला चाहिए

उतार भी गले से बेदर्दी का तमगा
सुन बेरहम तू मान ले मेरी बात
अब से दिल से तेरा दिल मिला चाहिए
 उफ़्फ़! क्यूँ है तू इतनी
मुझसे ख़फ़ा ख़फ़ा ए ज़िंदगी!
बता भी तुझे क्या चाहिए।

घड़ी भर दम लेने दे मुझे
शिकायतें करें रफा दफा आ कर 
मुझसे मिल चेहरा खिला चाहिए
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator