अज़ब ज़िंदगी ने अब शौख पाला है, थोड़ा सा छूटा जो हाथ तो सब कुछ निकल जाने वाला है, बेग़ैरत हो गया है अब मेरा शहर भी, जब से सुना है के वो आने वाला है. नज़रें बिछा के रखा है सारे शहर ने ऐसे? जैसे मेरा महबूब आने वाला है, मुसलसल यूँ ही ढलेगी शाम आज की, सुना है मेरी चौखट से गुज़रा है कोई! या गुज़र जाने वाला है... ©Vivek Sharma Bhardwaj #shahar #mahboob #musalsal #ishk #kitab