मन पंछी है जो बैठ तो जाता है उस लम्बी दूरी तय करने वाले जहाज पर फिर पछताते हुये उडान भरता है । फिर वही आकर बैठ जाता है किनारों कीं दूरी तय नहीं कर पाता पंछी मन ढूंढता हुवा उसी विवष जहाज पे बैठ जाता । जहाज