कविता सोच विचार नही सिर्फ़ शब्द मात्र की माला है.. कवि के दिल के आँगन में उठती जज्बातों की ज्वाला है..! शब्द-शब्द में ब्रह्म है इसके, शब्द-शब्द में ज्ञान है.. कवि के दिल की वेदना ही कविता की पहचान है..! हाथ मे चलती लेखनी सपनों का अरमान है.. सुधि-साधक की सघन साधना कविता का संज्ञान है..! गंगा की पावनता है, निरम्यता है सत्यम की,,.. शिव की उद्धम तपस्या है, भावों की व्यापकता है..! शब्द, छंद, भावों , वर्णों के एक प्यारा संकलन है.. कुसुम, कली, किसलय पत्तों का मधुर पल्लवन है..! नसों में बहते रक्त कणों को लौह बना दे ऐसी ज्वाला है.. अंतर्मन के ज्ञान क्षेत्र की यह ज्योतित आध्यात्म लता है...! परब्रह्म की सृष्टि मंच की यह कुशल नायिका है.. भावहीन को भी सुगंध दे देती ऐसी हरी-भरी बगिया है..! हृदय हिला दे अन्यायी का ये ऐसा क्रंदन है.. स्वर देती प्रतिकार को आग उगलती विद्रोही भावुकता है..! सीता का परित्याग सुना दे, ऐसी दृढ़ता है.. संस्कृति के इस युग में, दुर्गम पथ की सहायिका है..!! ©rishika khushi #colours #कविताक्याहै