मैँ जैसा भी हूँ , वैसा ही स्वीकार करो , चाहे मुझे ठुकरा दो य़ा प्यार करो ...... मैँ वास्त्विकता को क्यों बदलूँ , मैँ जैसा अन्दर हूँ वैसा ही बाहर से हूँ , क्यों झूठ का इजहार करूँ ............. अगर किसमत में होगे तो मिल ही जाओगे, झूठ के रास्ते की क्यों दरकार करूँ ........ Accept as it is...