Nojoto: Largest Storytelling Platform

भारत माता की प्राकृतिक व दैवीय शक्ति का परिचय: पत

भारत माता की प्राकृतिक व दैवीय शक्ति का परिचय:

पता इसका 'कठिनाई' से पूछो; आँधी-तूफानों से पूछो,
कवच अभेद्य, बन खड़ा सदी से; हाँ! ये ही है अडिग हिमालय।। 

चरण पखारें, माँ के प्रतिक्षण;  गूंजित हैं स्तुतिगान! अनवरत,
रक्षारत, लवलेश चैन बिनु; डोल रहे, सागर, महासागर।।
 
सिर पर नृत्य करे है गंगा; गले विराजे इनके विषधर,
कण्ठ लबालब भरा, हलाहल; हाँ ये हैं, महादेव प्रलयंकर।।

क्षीर विराजे, शेष की शय्या; पद्मनाभ, शान्ताकारम हैं,
सृष्टिचालक, पालनकरता; ये अधर्म संहारक! श्रीहरि।।

सीता माता, राज्य जनकपुर; अवध में प्रगट भये रघुराई,
मर्यादापुरुषोत्तम! पाकर; धन्य! मातु-निज, भारती माई।।

दुष्ट दलन है, बालक लीला; धर्म स्थापना, गौ-संवर्धन,
कारागार बना, पूजास्थल; नयनानंद, कृष्ण, कन्हाई।।
 
प्रज्ञावान, वीर, योगी जन,
युद्ध, यज्ञ, सत्कर्म धर्ममय,
वेद, पुराण, शास्त्र पथदर्शन,
करें सुनिश्चित, जग हो सुखमय।।

©Tara Chandra #माँ_भारती
भारत माता की प्राकृतिक व दैवीय शक्ति का परिचय:

पता इसका 'कठिनाई' से पूछो; आँधी-तूफानों से पूछो,
कवच अभेद्य, बन खड़ा सदी से; हाँ! ये ही है अडिग हिमालय।। 

चरण पखारें, माँ के प्रतिक्षण;  गूंजित हैं स्तुतिगान! अनवरत,
रक्षारत, लवलेश चैन बिनु; डोल रहे, सागर, महासागर।।
 
सिर पर नृत्य करे है गंगा; गले विराजे इनके विषधर,
कण्ठ लबालब भरा, हलाहल; हाँ ये हैं, महादेव प्रलयंकर।।

क्षीर विराजे, शेष की शय्या; पद्मनाभ, शान्ताकारम हैं,
सृष्टिचालक, पालनकरता; ये अधर्म संहारक! श्रीहरि।।

सीता माता, राज्य जनकपुर; अवध में प्रगट भये रघुराई,
मर्यादापुरुषोत्तम! पाकर; धन्य! मातु-निज, भारती माई।।

दुष्ट दलन है, बालक लीला; धर्म स्थापना, गौ-संवर्धन,
कारागार बना, पूजास्थल; नयनानंद, कृष्ण, कन्हाई।।
 
प्रज्ञावान, वीर, योगी जन,
युद्ध, यज्ञ, सत्कर्म धर्ममय,
वेद, पुराण, शास्त्र पथदर्शन,
करें सुनिश्चित, जग हो सुखमय।।

©Tara Chandra #माँ_भारती
tarachandrakandp6970

Tara Chandra

Bronze Star
New Creator