भारत माता की प्राकृतिक व दैवीय शक्ति का परिचय: पता इसका 'कठिनाई' से पूछो; आँधी-तूफानों से पूछो, कवच अभेद्य, बन खड़ा सदी से; हाँ! ये ही है अडिग हिमालय।। चरण पखारें, माँ के प्रतिक्षण; गूंजित हैं स्तुतिगान! अनवरत, रक्षारत, लवलेश चैन बिनु; डोल रहे, सागर, महासागर।। सिर पर नृत्य करे है गंगा; गले विराजे इनके विषधर, कण्ठ लबालब भरा, हलाहल; हाँ ये हैं, महादेव प्रलयंकर।। क्षीर विराजे, शेष की शय्या; पद्मनाभ, शान्ताकारम हैं, सृष्टिचालक, पालनकरता; ये अधर्म संहारक! श्रीहरि।। सीता माता, राज्य जनकपुर; अवध में प्रगट भये रघुराई, मर्यादापुरुषोत्तम! पाकर; धन्य! मातु-निज, भारती माई।। दुष्ट दलन है, बालक लीला; धर्म स्थापना, गौ-संवर्धन, कारागार बना, पूजास्थल; नयनानंद, कृष्ण, कन्हाई।। प्रज्ञावान, वीर, योगी जन, युद्ध, यज्ञ, सत्कर्म धर्ममय, वेद, पुराण, शास्त्र पथदर्शन, करें सुनिश्चित, जग हो सुखमय।। ©Tara Chandra #माँ_भारती