दिल चाहता हैं ,आज नजरो को फिर मिल जाने दूँ उस हसीं की नजरों से ,लेकिन फिर ये सोचकर रोक लेता हूँ खुद को, कि एक बार तो मैंने खुद को सम्भाल लिया टूटने पर लेकिन अगर इस बार भी टूट गया तो सम्भालने वाला कौन हैं मुझें? ~रवि #समझ नहीं आता मुझे कि#आखिर जब तेरा मिलना ही न था क़िस्मत में, तो तुझसे मिलवाया ही क्यों क़िस्मत ने।#जानता हूँ कि तुझें पसन्द नहीं मैं ,पर क्या करूँ ?#तुझें भूलना चाहता हूँ फिर भी बस तू ही याद आती हैं#share#comment#my story #shayad us tk pahuch jaye