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तेरी मोहब्बत का नशा ही कुछ अलग था, जो मैं तुझसे कभ

तेरी मोहब्बत का नशा ही कुछ अलग था, जो मैं तुझसे कभी ना रूठा,जब जब तू रुठी मैने तुझको मना लिया।
वरना हम वो ज़हर थे जब रूठते तो तेरी मोहब्बत और तेरा नशा दोनों को चकनाचूर कर देते।
    
                                                        विनोद मौर्य...✍️
तेरी मोहब्बत का नशा ही कुछ अलग था, जो मैं तुझसे कभी ना रूठा,जब जब तू रुठी मैने तुझको मना लिया।
वरना हम वो ज़हर थे जब रूठते तो तेरी मोहब्बत और तेरा नशा दोनों को चकनाचूर कर देते।
    
                                                        विनोद मौर्य...✍️
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