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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मिरा इश्क़

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मिरा इश्क़ भी ख़ुद-ग़रज़ हो चला है
तिरे हुस्न को बेवफ़ा कहते कहते

शब-ए-ग़म किस आराम से सो गए हैं
फ़साना तिरी याद का कहते कहते

ये क्या पड़ गई ख़ू-ए-दुश्नाम तुम को
मुझे ना-सज़ा बरमला कहते कहते

ख़बर उन को अब तक नहीं मर मिटे हम
दिल-ए-ज़ार का माजरा कहते कहते

अजब क्या जो है बद-गुमाँ सब से वाइज़
बुरा सुनते सुनते बुरा कहते कहते

वो आए मगर आए किस वक़्त 'हसरत'
कि हम चल बसे मरहबा कहते कहते

©Sam
  #Dil reh gya kuch kehte kehte
samedatt2026

Sam

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#Dil reh gya kuch kehte kehte #Poetry

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