रोटी और गुलाब में मैं रोटी चुनता हूँ अपनी कमाई ऐसे चीजों में नही लगता जो मनुष्य के वास्तविक उन्नति के लिए आवश्यक न हो। पर जीवन किसी नियम के किताब से बहोत अलग होती है । अपने जीवन के संघर्ष को अपने तरीके से लड़ती वीरांगना जब आप के सामने हो तो उसके सम्मान में अपने नियम से अलग भी देख पाना आप के जीवंत होने का प्रमाण है। इस तरह के बच्चे को आप ज्ञान का जो घूंट पिला दो की आप स्कूल जाओ पढ़ाई करो आदि आदि लेकिन उसके इस ईमानदार प्रयास से जीवन जीने की कला को प्रणाम करना नही भूलना। यहाँ जब पूरा देश खैरात में सब कुछ पाने को अपना हीं देश जलाने के लिए तत्पर दिखे तो ऐसी कर्मयोगी वीरांगनाएँ आशा की एक किरण के रुप में दिखती हैं। आप भले रोज डे नही मनाओ लेकिन आप का खरीद गुलाब सायद उसे ईमानदारी की एक रोटी उपलब्ध करा सके वह सुकून आप को अपने वेलेन्टाइन से मिले सच्चे झूठे प्रेम से कही अधिक आनंद व आत्मदीप्तता की अनुभूति देगा।
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