अभी तो जरा सी आवाज हुई है, अभी तो शोर होना बाकी है। किस जिस्म की चीखे तुम्हें सुनाई ना अभी तो उन चीखो की गूंज होना बाकी है, यह जो बदन पर निशान दिए हैं ना तुमने, अभी तो उनका मरहम बाकी है, जो सड़कों पर दुपट्टा उड़ा दिया था ना तुमने, भी तो वही फंदा तुम्हें बांधना बाकी है, तेरे चेहरे की खाल पर घर पड़ी थी, तेजाब फेंका था तुमने, अभी तो तुम्हारी रूह का जलना बाकी है, मेरा वजूद छीनने की कोशिश की थी तुमने, अभी तो मेरे सपनों की उड़ान भरना बाकी है, क्यों सवालात खड़े किए हैं ना तुमने मुझ पर, अभी तो उनका एक एक जवाब तुम ही से लेना बाकी है. , ©Mau Jha beti bachao