|| श्री हरि: ||
3 - सचिन्त
'भद्र। बाबा भद्र कहाँ है?' ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि श्याम गोदोहन करने गोष्ठ में जाय और भद्र उसे दोहिनी लिये न मिले। आज भद्र कहाँ गया? कन्हाई ने भद्र को इधर उधर देखा, पुकारा और फिर अपने दाहिने हाथ की दोहनी बांयें हाथ में लेते हुए बाबा के समीप दौड़ गया।
राम-श्याम दोनों भाई प्रातःकाल उठते ही मुख धोकर पहिले गोदोहन करने गोष्ठ में आते हैं। प्रातःकृत्य गोदोहन के पश्चात होता है। बाबा के साथ ही भद्र सोता है। उनके साथ ही दोहनी लिए सवेरे दोनों भाइयों को गोष्ठ में मिलता है। लेकिन आज वह दिखता नहीं है।
'तुम आ गये?' बाबा ने भुजाएँ बढ़ाकर श्याम को अंक में लेना चाहा। उन्हें प्रतिक्षा करनी पड़ती है इन बालकों के आने की। ये दोनों न आवें तो गायें हुंकार करती रहेंगी और दूध दुहने नहीं देंगी। दोनों के गोष्ठ में आते ही सब बैठी गायें, वृषभ, बछड़े खड़े हो गये हैं। गायें हुंकार करने लगी हैं और थोड़ी पूँछ उठाकर गोमूत्र-त्याग करने लगी हैं। उन्होने दूध उतार दिया है। अनेकों के स्तनों से दूध टपकने लगा है। #Books