शून्य हो रहा सब.. रोको ना, ये मौन बहुत कचोट रहा है.. फैलता जा रहा आकाश की तरह अनन्त.. कुछ कहो ना! ऐसे कैसे, क्या-क्या संभाले, किसको टोके.. कैसे छुपाएं, क्यों अलग-अलग खंगालेंगे, अब कहां ढुंढ़ें, कितना बांटें...! बोलो ना! नहीं मुख खोलना तो, चलो आंखें ही मिला लो। आओ ना, तुमको रख लें सदा के लिए, पलकों में भर लें, हां! ... ✨शून्य✨ ................. शून्य हो रहा सब.. रोको ना! ये मौन बहुत कचोट रहा है.. फैलता जा रहा आकाश की तरह अनन्त.. कुछ कहो ना!