आज एक गरीब को इतना लाचारो बेबस देखा मौत के आगोश मे धीरे-धीरे जाते देखा वो था किसीआला मर्ज मे मुबतला उसे अपने हालातो गरीबी मे मर्ज से कराहते देखा आज एक गरीब को इतना लाचारो बेबस देखा वो था मजबूर गरीब इतना की उसे मर्जे शिफा के लिये भीक माँगते देखा टपक रहे रहे थे आँसु उसकी आँखो इस तरह जैसे उसकी आँखो सेआँसुओ का बहता समन्दर देखा आज एक गरीब को इतना लाचारो बेबस देखा उसके दर्द को कौन समझ पाता था कोई कहा इतना रकम उसकी झोली मे डालता था वो तो बस रो-रो कर अपना दर्द बया करता था कोई उसके आँसुओ को पोछने वाला भी न था बस कुरते की बाह से आँसुओ को पोछते देखा आज एक गरीब को इतना लाचारो बेबस देखा है इस जमाने मे बहुत से दौलतमन्द शख्स पर गरीबो की मदद करने वाला बहुत कम देखा इतनी खुदगर्ज हो गई है ये जमाना अली दौलतमन्द के पीछे जमाना गरीब को तन्हा अकेला देखा आज एक गरीब को इतना लाचारो बेबस देखा आज एक#गरीब को इतना#लाचारो बेबस देखा.....