कुछ याद आ रहा है आज शायद वही सुनहरी शाम और वही हमारी पहली बरसात।। कुछ याद आ रहा है आज शायद वो तेरा हर शाम छत पर आना और मुझे देखते ही तेरा शर्माकर अपनी पलकें झुकाना।। कुछ याद आ रहा है आज शायद वो तेरा मुझसे रास्ते में टकरा जाना और फिर बिन कुछ कहे ही बहुत कुछ कह जाना।। कुछ याद आ रहा है आज शायद तेरा वो मेरे ख्वाबों में बिन बुलाये आ जाना और फिर मेरे ख्वाबों को भी चुपके से अपना बनाना।। कुछ नहीं बहुत कुछ याद आ रहा है आज पर क्या- क्या बताऊँ मैं यह एक बार तुम मुझे जरूर बताना।। SHIVANGI ASTHANA🌹🌹 #memory#ShiviSA