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निरंतर मेरे कदम बढ़ते चले जबतक रुके ना मेरे सांस

निरंतर मेरे कदम बढ़ते चले 

जबतक रुके ना मेरे सांस 

मंजिल अब मेरी दूर नही

ये कह रहे मेरे विश्वास

©PC.Mourya #Four line poetry
निरंतर मेरे कदम बढ़ते चले 

जबतक रुके ना मेरे सांस 

मंजिल अब मेरी दूर नही

ये कह रहे मेरे विश्वास

©PC.Mourya #Four line poetry