जहां मन हो #निर्भय माथ हो उन्नत, हो नहीं रुढ़ियां,रचती कोई मरुस्थल पाये न सूखने इस विवेक की धारा- ~रवीन्द्र नाथ टैगोर इस माँ को नमन्,उनकी हर कोशिशों को सलाम.नाम के अनुरूप आशा का संचार किया है उन्होंने इस देश में. आख़िरकार 7 साल बाद निर्भया को न्याय मिला #NirbhayaCase 💐💐 Anubhuti Jain Dear Diary✍🏻