Nojoto: Largest Storytelling Platform

एक आस लगी कुछ बातें हों, कभी कभी मुलाकातें हों, मन

एक आस लगी कुछ बातें हों, कभी कभी मुलाकातें हों,
मन में आया कह दूं तुमको, जब बिन मौसम बरसाते हों।

खिड़की पर बैठी तन्हाई, तुम सांझ ढले आ जाते हो,
एक कसक उठी है सीने में, कुछ क्यूं न कहकर जाते हो।

समझो आंखों की गहराई, समझो होठों के कंपन को,
महसूस करो हाथों की नमी, और दिल में मचलती धड़कन को।

भेजे थे तुमको ख्वाब मेरे, सहमे सहमे जज़्बात मेरे,
खत मिलते ही तुम आ जाना, जाने से पहले पास मेरे।

कुछ कहूं तो जिक्र तुम्हारा हो, जब मौन रहूं सोचूं तुमको,
तुमको ही देखूं दर्पण में, और आंखों में भर लूं तुमको।

कितने मौसम फिर बदल गए, और बीत गए हैं साल कई,
तुम अब भी मुझमें बसते हो, बस नहीं रहे अरमान कोई।

मैं तुम्हें ताकती अल्हड़ सी, तुम अंतस को महकाते हो,
मैं झूमूं मस्त मयूरी सी, तुम साथ मेरे लहराते हो।

फिर वही सुनहरा मौसम हो, फिर वही अनकहे वादे हों,
जब वक्त मिले तुम आ जाना, फिर बिन मौसम बरसाते हों।

🍁🍁🍁

©Neel
  बिन मौसम बरसातें 🍁
archanasingh1688

Neel

Silver Star
Growing Creator
streak icon1

बिन मौसम बरसातें 🍁 #कविता

1,233 Views