विषय :- कुछ अपने अनजाने से ************************* दूर-दूर से रहते हैं जो, कुछ अपने अनजाने से। उनको नहीं मोह अपनों का, लगते हैं बेगाने से। खुद में ही मशरूफ़ है रहते, अपनों से रहकर दूर। परवाह किसी की करते नहीं, होते हैं मनमाने से। लगाव अपनों से होता नहीं, जल्दी बहक जाते हैं। आ जाते हैं बहकावे में, किसी के भी बहकाने से। उनकी तो दुनिया ही अलग, अलग ही उनका रूप। समझते ही नहीं बात कोई, कितना भी समझाने से। पसंद है जिन्हें अलग रहना, दुनिया और ज़माने से। कोई फर्क उन्हें पड़ता नहीं, किसी के भी मनाने से। कोरा काग़ज़ विशेष प्रतियोगिता-20 विषय :- कुछ अपने अनजाने से ******************** Pic Credit :- Pinterest दूर-दूर से रहते हैं जो, कुछ अपने अनजाने से। उनको नहीं मोह अपनों का, लगते हैं बेगाने से।