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समाज की आड़ में, परिवार की बातों में, वह छोड़ता है

समाज की आड़ में, परिवार की बातों में,
वह छोड़ता है संबंध, सोच विचारकर।
प्यार का बंधन, ख्वाहिशों की आग में,
वह खुद को खो बैठता है, अपने अपनों के लिए।

बेहतर भविष्य के लिए, दोनों के लिए,
वह रिश्ता तोड़ता है, सबकी ख़ुशी के लिए।
पथ अलग चुनता है, जीवन की राहों में,
उम्मीद से जीने का नया अवसर देता है।

पर इसका मतलब नहीं कि उसे भी तकलीफ़ नहीं होती,
जो रिश्ता छोड़ता है, आशाओं के संग सोता है।
अपूर्णता और विरह की आग से जलता,
उसका दर्द भी देखना चाहिए, हमें समझना चाहिए।

क्योंकि हर कोई रिश्ता छोड़ता नहीं है,
बस खुद को खो बैठता है, उसे छोड़कर जाता है।
समाज, परिवार, प्यार की बंधने बांधी,
उसकी आवाज़ भी सुननी चाहिए, जो कम होती है।

©Rajat Patawa
  #snowfall #Majorityisnotalwaysright