"तुम पनघट पर जो आई थी इस प्रेम भाव को आज जगा कर धूनि मैंने जो रमाई थी। सोच - सोचकर काव्य की धारा मैंने कलम बढ़ाई थी। तुम मुझसे मिलने आई थी तुम कुछ कहने तो आई थी। " ©narendra bhakuni #Soch #vichar #L♥️ve #Ha #na #Ka #Kal #Aaj