दिल की पट्टी पर पनपा वो ख़्वाब लिखना है। ए- यारा तुझे सूर्यमुखी से गुलाब लिखना है।। ए- रवीना मुझे अख़्तियार, इज़ाज़त दे दो ना, तुम्हारी ख़ूबसूरती पर यारा किताब लिखना है। तन्हाई सी ज़िन्दगी में मैंने शायरी बहुत लिखी, ए-रवीना अब तुम्हें हुस्न-ए-महताब लिखना है। ए-यारा मेरी यही, एक मुक़म्मल हसरत है, तुम्हारे साथ सफ़रे दास्ताँ, नायाब लिखना है। नीरज ज़िन्दगी भर लिखे, और तुझे ही लिखे, गुलाब सा ख़ूबसूरत मुझे ख़्वाब लिखना है। Ravina Kumari