नफरत की इस दुनिया में सब अभ्यस्त है समय नहीं किसी को सब खुद से त्रस्त है वासना,लालच,स्वार्थ में दुनियाँ व्यस्त है काल के अभाव के प्रभाव सेअभित्रस्त है..... कुमार मानव की व्यस्तता,त्रस्तता,अभ्यस्तता.....