पिछले कुछ दिनों से उदास था मेरा शहर, राहें सूनी पड़ी थी, खामोश था हर पहर, हर कोई परेशां था.. कोई अपनों से दूर हो के कोई अपनों में क़ैद हो के तो कोई हालातों से लाचार हो के फिर सहसा इक रात.. दीपों की रोशनी तिलमिलाई पूरे शहर में पटाखों की गूंज सुनने को आई, कल रात मेरे शहर में बेमौसम.. दीवाली आई.... ✍️✍️ मेघराज देपन बेमौसम दीवाली