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मत व्यर्थ में ताको मेरी ओर, असहाय स्वयं में हूँ अब

मत व्यर्थ में ताको मेरी ओर, असहाय स्वयं में हूँ अब मैं।
हो गयी आयु अब अस्सी की, पर पीछे नहीँ हटा हूँ मैं।।
लेकिन कुछ आप भी तो सोचो, कब तक मैं आगे आऊंगा?
तुम युवा सभी हो मस्ती में, क्या मैं कर्तव्य निभाऊँगा ??
हो गया बहुत अब क्षमा करें, अब काम नहीं मैं आऊंगा।
कुछ सच में चाहिए मार्ग दर्शन, कहना मैं अवश्य बताऊंगा।।
है जन्म दिवस इसलिए आज, छोड़ा है पान मसाला भी।
जीवन की अंतिम यात्रा की, हूँ ओर न अब तो करुँ गलती।।
धन्यवाद।

©bhishma pratap singh #अमिताभ_बच्चन जी का जन्मदिन#कविता हिन्दी#काव्य संकलन#भीष्म प्रताप सिंह#संकलन #समाज एवं संस्कृति#अक्टूबर विशेष
मत व्यर्थ में ताको मेरी ओर, असहाय स्वयं में हूँ अब मैं।
हो गयी आयु अब अस्सी की, पर पीछे नहीँ हटा हूँ मैं।।
लेकिन कुछ आप भी तो सोचो, कब तक मैं आगे आऊंगा?
तुम युवा सभी हो मस्ती में, क्या मैं कर्तव्य निभाऊँगा ??
हो गया बहुत अब क्षमा करें, अब काम नहीं मैं आऊंगा।
कुछ सच में चाहिए मार्ग दर्शन, कहना मैं अवश्य बताऊंगा।।
है जन्म दिवस इसलिए आज, छोड़ा है पान मसाला भी।
जीवन की अंतिम यात्रा की, हूँ ओर न अब तो करुँ गलती।।
धन्यवाद।

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