रिश्ते की सिलवटें मिटाते मिटाते हमने अपनी सारी जिंदगी गुजार दी, उम्र का एक मोड़ पार करने के बाद वो कहते हैं तुमने मेरी जिंदगी बिगाड़ दी। ताउम्र उनकी राहों से उन्हें अपना समझ कर मुश्किलों के कांटे हटाते रहे हम, हमको हमारे ख्वाबों से दूर करके वो कहते हैं हमने उनकी मंजिल दूर कर दी। जिम्मेदारियों को बोझ नहीं अपना फर्ज समझ कर सारी उम्र निभाते रहे जिन्हें हम, लाए थे जो अपना बनाकर हमें अब वो कहते हैं तुमने हमारी जिम्मेदारियांँ बढ़ा दी। थोड़े से अपनेपन और प्यार की चाहत में अपनी सारी जिंदगी गुजार दी हमने, हमको हमारे अपनों से दूर करके वो कहते हैं कि हमने रिश्तो में दूरियांँ बढ़ा दी। ♥️ Challenge-622 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।