द्वितीया का चांद, तृतीया का अक्षय, क्षय न हो चांद,क्षय न हो अक्षय, अक्षय बनी रहे अक्षुण्ण एकता, फिर एकता रहे उसमें जो अनेकता, विविधता के देश में देवता जो देखता, लगती नजर न ग्रह की,जागो देश-देवता ! 🙏🙏🏽🙏🙏🏽 ©BANDHETIYA OFFICIAL द्वितीया चांद, तृतीया अक्षय ! #MeriEid