वो फिर एक बार गैरों कि बाहों में सिमट रहीं हैं,,मैंने सोचा कि वो अब सम्भाल रहीं हैं,, मगर इश्क कि गालियों में वो आज फिर भटक रही है,, अंसारी इश्क कि गालियों में,,