करीब आके पल में फ़ासले बढ़ गए किस्मत की सूली हम आज चढ़ गए कई अरमानों को किनारा ना मिला खुदा क्यों तेरा सहारा ना मिला एक दुनिया सजाई थी ख्वाबों में उस दुनिया में पल भर गुजारा ना मिला सोचता हूँ दिल क्यों ऐसे ख़्वाब गढ़ गए करीब आके पल में फ़ासले बढ़ गए किस्मत की सूली हम आज चढ़ गए मेरी आवारगी का फ़िक्र नहीं है पर खुदा उसपे तो ना कुछ सितम कर वीरान हैं अब दिल का आशियाँ बिना मंजिल जिंदगी भर हैं सफर समाज में घरवालों की लाज़ बच गई मेरे प्यार से आज फेरकर नजर खुशियों की मौत पर दुःख के मिट्टी चढ़ गए करीब आके पल में फ़ासले बढ़ गए किस्मत की सूली हम आज चढ़ गए #faasla