चुना था गुलाब हमने अब कांटा चुभ रहा है रौशन करके राहें कोई दिया बुझ रहा है होकर दूर हमसे वो वफ़ा कर रहा है मोहब्बत करने की गलती वो हर दफ़ा कर रहा है छिपा कर हर गुनाह रातें बेगुनाह हो गई हैं दिखा कर असली चेहरे सच को सज़ा हो गई है... ©abhishek trehan ♥️ Challenge-576 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।