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विधा:-कहानी(ट्रेजेडी कहानी जिसका अंत दुखांत हो)

विधा:-कहानी(ट्रेजेडी कहानी जिसका अंत दुखांत हो)


शीर्षक:-अंधविश्वास का अंधकार

सम्पूर्ण कहानी अनुशीर्षक में पढ़े। विधा:-कहानी(ट्रेजेडी कहानी जिसका अंत दुखांत हो)
शीर्षक:-अंधविश्वास का अंधकार

यह कहानी भाटिया परिवार की हैं।भाटिया परिवार में अभी ग्यारह सदस्य थे।बुजुर्ग माँ ,ललित व उनकी पत्नी,महेश व उनकी पत्नी, बहन बेबी व उसकी बेटी प्रियंका, ध्रुव, यश,भावना,यह इनके बच्चे थे।घर का माहौल बहुत ही खुशमिजाज होता हैं।सभी बहुत ख़ुशी खुशी रहते हैं। पर एक दिन ललित की किसी कार एक्सीडेंट में आवाज़ चली जाती है। किसी भी प्रकार का इलाज का उस पर असर नही करता हैं।तो रात को करीबन 12 बजे के आसपास ललित हड़बड़ाहट के साथ उठता हैं।साथ ही उनकी पत्नी भी उठ जाती हैं।वह भी ललित की हालत देख घबरा जाती हैं। ललित कुछ न बोल पाने के कारण गले पर घबराहट के साथ हाथ फेरता हैं।तो ललित की पत्नी सबको घर मे आवाज दे बुला लेती हैं।सब के इकठ्ठा होने पर भी कुछ न बोल पाने के हालात में वह लिख कर बताता हैं।भाई महेश पढ़ता हैं।औऱ सभी के चेहरे पर खुशी की लहर चली आती हैं।उसमे लिखा होता हैं कि सपने में पिता जी(ललित व महेश के पिता जो कि ग्यारह साल पहले मर चुके थे) आये थे उन्होंने कहा हैं कि पूजा पाठ किया करो घर मे सुख शान्ति बनाये रखो और मेरी आवाज लौट आएगी।यह सुन सब खुश हो जाते है औऱ ललित पूरे विश्वास से भक्ति में रम जाता हैं ऐसे करते करते उसकी आवाज़ कुछ दिन बाद लौट आती हैं।यह दिन सभी के लिए यादगार व खुशी से भरा होता हैं सभी खुश है कि ललित की आवाज वापस लौट आई।साथ ही उनका विश्वास भक्ति कार्यो में भी बढ जाता हैं।औऱ ललित का मस्तिष्क मानसिक रूप से पिता की दिगवन्त आत्मा से इतना जुड़ जाता हैं कि वह उनसे बातचीत करने लगता व घर मे सभी को बताता कि पिता जी ने यह बताया कि हम सब को साथ रहना है मन मे आपसी विश्वास को बनाये रखना है।सभी ललित की बात पर यकीन करने लगते हैं । औऱ ललित सभी बातों को एक रजिस्टर में दर्ज करता जाता है।औऱ जो भी पिता जी उसके सपने में बताते पूरा भाटिया परिवार पूरी शिद्दत से करते हैं तो उनके परिवार में सुख शान्ति व मां लक्ष्मी का मानो वास होने लगता हैं सभी परिवार में खुश हो रहते हैं। एक दुकान से तीन दुकान हो जाती हैं।बहन बेबी के बेटी की सगाई भी तय हो जाती हैं।यह सब उनके आपसी तालमेल व नेक कर्म से सम्पन्न होता जा रहा था परन्तु वह अपने पिता की आत्मा का शुक्रिया करने लगते है। फिर पिता जी ललित के सपने में फिर आते हैं तो इस बार कुछ ऐसा बताते है जो कि पूरे भाटिया परिवार के लिए अचंभित कर देने वाला था पर शायद पूरा भाटिया परिवार इस बात का अंदाजा भी नही लगा रहा था कि ऐसा कुछ भी उनके साथ हो जायेगा।बस वह अंधविश्वास की आड़ में अंधे हो रहे थे।फिर पिता की बात और सभी ने पूरी शिद्दत से पूरी की । ललित इस अंधविश्वास का सबसे ज्यादा शिकार हो जाता हैं और पूरे परिवार को इस कर्मकांड में शामिल करता हैं। ललित सभी परिवार के सदस्यों कहता हैं कि पिताजी ने बोला हैं कि एक पूजा करो जो कि एक उत्तम कार्य माना जायेगा ।सभी ललित की बात मानते हैं और एक अनुष्ठान करते हैं जो कि मध्यरात्रि के 12 बजे शुरू होता हैं अनुष्ठान के निर्देश थे कि सभी की आँखे व हाथ अच्छे से बांध दिए जाएंगे व गले मे एक रस्सी जो कि छत से बंधी होगी।कोई भी नही घबराएगा नही अपना विश्वास हारेगा व सभी को मन के विश्वास को बनाये रखना है।घर मे बच्चों से लेकर सभी सदस्य यह काम करते हैं।रात एक बजे तक सभी इस अनुष्ठान को करते हैं।और सुबह 5 बजे पूरी भाटिया परिवार इस अनुष्ठान की आड़ में  फाँसी लगा खुदकुशी कर लेते हैं।व पूरा परिवार खत्म हो जाता हैं। इन ग्यारह लोगो की मौत सब लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर जाती हैं।



यह वास्तविक घटना पर आधारित लघु कहानी है।
विधा:-कहानी(ट्रेजेडी कहानी जिसका अंत दुखांत हो)


शीर्षक:-अंधविश्वास का अंधकार

सम्पूर्ण कहानी अनुशीर्षक में पढ़े। विधा:-कहानी(ट्रेजेडी कहानी जिसका अंत दुखांत हो)
शीर्षक:-अंधविश्वास का अंधकार

यह कहानी भाटिया परिवार की हैं।भाटिया परिवार में अभी ग्यारह सदस्य थे।बुजुर्ग माँ ,ललित व उनकी पत्नी,महेश व उनकी पत्नी, बहन बेबी व उसकी बेटी प्रियंका, ध्रुव, यश,भावना,यह इनके बच्चे थे।घर का माहौल बहुत ही खुशमिजाज होता हैं।सभी बहुत ख़ुशी खुशी रहते हैं। पर एक दिन ललित की किसी कार एक्सीडेंट में आवाज़ चली जाती है। किसी भी प्रकार का इलाज का उस पर असर नही करता हैं।तो रात को करीबन 12 बजे के आसपास ललित हड़बड़ाहट के साथ उठता हैं।साथ ही उनकी पत्नी भी उठ जाती हैं।वह भी ललित की हालत देख घबरा जाती हैं। ललित कुछ न बोल पाने के कारण गले पर घबराहट के साथ हाथ फेरता हैं।तो ललित की पत्नी सबको घर मे आवाज दे बुला लेती हैं।सब के इकठ्ठा होने पर भी कुछ न बोल पाने के हालात में वह लिख कर बताता हैं।भाई महेश पढ़ता हैं।औऱ सभी के चेहरे पर खुशी की लहर चली आती हैं।उसमे लिखा होता हैं कि सपने में पिता जी(ललित व महेश के पिता जो कि ग्यारह साल पहले मर चुके थे) आये थे उन्होंने कहा हैं कि पूजा पाठ किया करो घर मे सुख शान्ति बनाये रखो और मेरी आवाज लौट आएगी।यह सुन सब खुश हो जाते है औऱ ललित पूरे विश्वास से भक्ति में रम जाता हैं ऐसे करते करते उसकी आवाज़ कुछ दिन बाद लौट आती हैं।यह दिन सभी के लिए यादगार व खुशी से भरा होता हैं सभी खुश है कि ललित की आवाज वापस लौट आई।साथ ही उनका विश्वास भक्ति कार्यो में भी बढ जाता हैं।औऱ ललित का मस्तिष्क मानसिक रूप से पिता की दिगवन्त आत्मा से इतना जुड़ जाता हैं कि वह उनसे बातचीत करने लगता व घर मे सभी को बताता कि पिता जी ने यह बताया कि हम सब को साथ रहना है मन मे आपसी विश्वास को बनाये रखना है।सभी ललित की बात पर यकीन करने लगते हैं । औऱ ललित सभी बातों को एक रजिस्टर में दर्ज करता जाता है।औऱ जो भी पिता जी उसके सपने में बताते पूरा भाटिया परिवार पूरी शिद्दत से करते हैं तो उनके परिवार में सुख शान्ति व मां लक्ष्मी का मानो वास होने लगता हैं सभी परिवार में खुश हो रहते हैं। एक दुकान से तीन दुकान हो जाती हैं।बहन बेबी के बेटी की सगाई भी तय हो जाती हैं।यह सब उनके आपसी तालमेल व नेक कर्म से सम्पन्न होता जा रहा था परन्तु वह अपने पिता की आत्मा का शुक्रिया करने लगते है। फिर पिता जी ललित के सपने में फिर आते हैं तो इस बार कुछ ऐसा बताते है जो कि पूरे भाटिया परिवार के लिए अचंभित कर देने वाला था पर शायद पूरा भाटिया परिवार इस बात का अंदाजा भी नही लगा रहा था कि ऐसा कुछ भी उनके साथ हो जायेगा।बस वह अंधविश्वास की आड़ में अंधे हो रहे थे।फिर पिता की बात और सभी ने पूरी शिद्दत से पूरी की । ललित इस अंधविश्वास का सबसे ज्यादा शिकार हो जाता हैं और पूरे परिवार को इस कर्मकांड में शामिल करता हैं। ललित सभी परिवार के सदस्यों कहता हैं कि पिताजी ने बोला हैं कि एक पूजा करो जो कि एक उत्तम कार्य माना जायेगा ।सभी ललित की बात मानते हैं और एक अनुष्ठान करते हैं जो कि मध्यरात्रि के 12 बजे शुरू होता हैं अनुष्ठान के निर्देश थे कि सभी की आँखे व हाथ अच्छे से बांध दिए जाएंगे व गले मे एक रस्सी जो कि छत से बंधी होगी।कोई भी नही घबराएगा नही अपना विश्वास हारेगा व सभी को मन के विश्वास को बनाये रखना है।घर मे बच्चों से लेकर सभी सदस्य यह काम करते हैं।रात एक बजे तक सभी इस अनुष्ठान को करते हैं।और सुबह 5 बजे पूरी भाटिया परिवार इस अनुष्ठान की आड़ में  फाँसी लगा खुदकुशी कर लेते हैं।व पूरा परिवार खत्म हो जाता हैं। इन ग्यारह लोगो की मौत सब लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर जाती हैं।



यह वास्तविक घटना पर आधारित लघु कहानी है।