आजादी की पहरेदार पहचान आजादी का लहराते तिरंगे से नहीं होती, जीत हमेशा खुशियों की रंग बिरंगे से नहीं होती, हम भीगी पलकों से बहादुरों को याद करते है, श्रद्धांजलि का मतलब दो बूंद आसुओं से नहीं होती। जहां लोग सीमा पे सीने पे शीश उठाया करते है, मौत की होली हस्ते चेहरों से सरहद पे मनाया करते है, उनके दर पे कोई खड़ा नहीं है आज पहरे को, जो राष्ट्र दीवरों के पहरेदारी को शान से जाया करते है। उनके भी घर को देखो जो सत्ता के घेरे में आते है, जान निछावर का धोखा जन जन को फेरे जाते है, सर से घर तक में सारे विलास के सवाल मिलेंगे, जो दिखावे को बस्तियों के डेरे में पाए जाते है। भिखारी क्या जश्न मनाएगा मांगे हुए खुशियों पे, कैसे फहराए तिरंगा रूठे हुए घर के मुखियों से, जश्न ए आजादी बड़ी शोर से मोहल्लों में मनाते है, जो अक्सर सैनिकों को संशय में ही रखते है। #yobaba #s. Bhaskar #ajadikepahredar