आलस्य मनुष्य का शत्रु बड़ा, इसका हमें त्याग कर देना चाहिए। हमें हमारे लक्ष्य से है भटकता, इसका निवारण कर देना चाहिए।। गर होना है जीवन में तुमको सफ़ल, तो कुछ बातों को अपना लो। छोड़ आलस्य कर कठिन परिश्रम, वर्तमान और भविष्य को बना लो।। साहित्य कक्ष 2.0 प्रतियोगिता संख्या 08/S2 आप सभी का स्वागत 💐 है अनुशीर्षक में ✍️चार(4) पंक्ति में (शायरी/मुक्तक) लिखें 🅽🅾🆃🅴 - अगर कोई रचनाकार नियमों और शर्तों को ध्यान में रखकर Collab नहीं करता है। तो उसकी रचना को हम प्रतियोगिता में सम्मिलित करने में असमर्थ रहेंगे।