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बेकार वो आशाएँ हैं, जो इस मन ने लगाई सारी उम्मीदे

बेकार वो आशाएँ हैं, जो इस मन ने लगाई 
सारी उम्मीदें कोरी, बस कोरी ही रह जाए 
चाहे दिल किसी का टूटे, चाहे साथ किसी का छूटे 
चाहे अपना ही कोई रूठे, कोई परवाह नहीं किसी को 
सारी उम्मीदें हैं झूठी, झूठी ये आशाएँ हैं 
उम्मीद मत तुम करना, इस पथ के तुम भी राही 
उम्मीद टूट जाती हैं, इस वक्त के जहाँ में 
मतलब की सारी दुनिया, ये ऐसी हो चली हैं 
मतलब का हैं हर रिश्ता, मतलब की जिंदगी हैं

©दिव्यांशी त्रिगुणा "राधिका"
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