वो हलकी रोशनी और वो गुन गुनाती ठंडी हवाएं, जहा पर आसमा ना दिखे पर दिखे वो पेड़ों की छाऊ, जहा जहाँ बड़ा सुनहरा सा हो, जहा उडता हर एक पंखी एक ख़्वाब सा हो , जहा फूल भी कोई और ही रंग का हो, और वो रंग का नाम इस जहाँ को खबर ही ना हो, और वो तितलियाँ भी बड़ी हसीन हो, जहा काटे भी इस कदर हो की पैर में कोई चुबन ही ना हो, जहा अकेली मे ही जाऊ, और साथ मे बस एक कलम और कागज हज़ारो ले जाऊ, लिख लाउ उस जहाँ से मेरी सुनहरी यादो को, और फिर इस जहाँ में आके सब को सुनाऊ | सपनो का एक जहाँ...