समुंदर सा गहरा हूँ, आकाश सा विशाल हूँ, मैं एक उभरता इंकलाब हूँ। चंद्रमा सा शीतल हूँ, वृक्ष सा उदार हूँ, मै एक उभरता इंकलाब हूँ। कलम सा रचनाकार हूँ, कोरे कागज सा बेदाग हूँ, मैं एक उभरता इंकलाब हूँ। हिंद की हुंकार हूँ, आंतक का विनाश हूँ, मैं एक उभरता इंकलाब हूँ। मै एक उभरता इंकलाब हूँ। # मै एक उभरता इंकलाब हूँ #armybrat