हम कोई पत्थर तो नहीं,जो तुम कभी मिलते ही नहीं या तुम फिर वो धुन हो,जो हम कभी सुनते ही नहीं जिस दिन से तुम चुप हो,हम भी कुछ करते ही नहीं ये छाया है कैसा मंज़र,तुमसे हम थकते भी तो नहीं हम ना पा सके तुझको,सब रास्ते मुड़ते भी तो नहीं आखिर क्या है तेरे मन में,तुम कभी खुलते भी तो नहीं दिल लिपटा हुआ है दिल से,तुम सच से मुकरते भी तो नहीं कितनी बेबस है मेरी आँखें,तुम कभी उन्हें पढ़ते भी तो नहीं इस रात की सुबह हो शायद,तुम शाम बनके ढ़लते भी तो नहीं इस कदर हमसे रूठे हो,कोशिशों से पिघलते भी तो नहीं दोस्त बनकर दुश्मनों सा सताते हो फिर भी तुम मुझको याद आते हो तू साथ है तो मैं ज़िंदा हूँ,मेरे हमनवां ये कैसा साथ निभाते हो... © abhishek trehan #पत्थर #धुन #रास्ते #दिल #सच #manawoawaratha #yqdidi #yqaestheticthoughts