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एक स्त्री जब माँ होती है ,परिपूर्ण होती है, वीरा

एक स्त्री जब माँ  होती  है ,परिपूर्ण होती है, वीरांगना होती है, अपने नो निहाल हेतु स्वयं को प्रतिदिन तप्त अग्नि में झोंक  देती हैl  एक स्त्री जब माँ होती है तो त्याग देती है अपने सारे सुख चैन , स्वयं हेतु जीने का हर छन ,हर छन का हर कण नौ निहाल पर वार देती है l एक स्त्री जब माँ होती है तो छोड़ देती है सारे सुख स्वयं के, अपने बच्चों की मुस्कान में अपने हर आक्रोश पीड़ा को वो खो देती है l एक स्त्री जब माँ होती है तो अपने अधूरे  स्वप्न पुनः बुन लेती है और संतान हेतु उनके स्वप्न में अपने रंग  भी भर देती है l एक स्त्री जब माँ होती है परिपूर्ण होती है , वीरांगना होती है और होने पर भी अधूरी अपनी संतान हेतु पूर्ण होती है , सम्पूर्ण होती हैl.......Sarika

©Sarika Vahalia
  #MothersDay2021