उलझ गया हूँ मैं अपने जीवन में सबको हसने का हुनर दे कर आज मैं चुप सा हो गया हूं बचपन को जीते जीते जिम्मेदारीया उठा रहा हूँ गम छुपाकर मैं हसी का मुखौटा लिए घूम रहा हूं खो रहा हूं मैं खुद को फिर भी सबको खुश रख रहा हूं जाऊ कहा मैं ये भी सोच कर ज़िन्दगी से लडते जा रहा हूँ #poem #instagram #richa_writer6😊🙏words for male 😊