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मेहमान देखकर मान और सम्मान बदल जातें हैं चढ़ावा कम

मेहमान देखकर मान और सम्मान बदल जातें हैं
चढ़ावा कम हो तो आशीष और वरदान बदल जाते हैं 
वक्त पर मन की मनोकामना अगर पूरी न हो तो 
भक्तों की भक्ति मंदिर और भगवान बदल जाते है
लोग अक्सर मुझसे पुछते हैं जगह जगह तुम्हारी बहुत 
"निन्दा" हो रही है और मेरा एक ही जवाब होता है
निन्दा उसी की होती है जो जिन्दा है तारीफ तो हमेशा
मरे हुये की होती है बस अपने विश्वास में जियो
अच्छे काम करते रहिये चाहे लोग तारीफ करें या न करें
क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना ...
मेहमान देखकर मान और सम्मान बदल जातें हैं
चढ़ावा कम हो तो आशीष और वरदान बदल जाते हैं 
वक्त पर मन की मनोकामना अगर पूरी न हो तो 
भक्तों की भक्ति मंदिर और भगवान बदल जाते है
लोग अक्सर मुझसे पुछते हैं जगह जगह तुम्हारी बहुत 
"निन्दा" हो रही है और मेरा एक ही जवाब होता है
निन्दा उसी की होती है जो जिन्दा है तारीफ तो हमेशा
मरे हुये की होती है बस अपने विश्वास में जियो
अच्छे काम करते रहिये चाहे लोग तारीफ करें या न करें
क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना ...