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मेरी एक पुरानी डायरी में अभी भी बसी है एक तस्वीर त

मेरी एक पुरानी डायरी में अभी भी बसी है एक तस्वीर तुम्हारी, सिर्फ एक ,पुराना मोबाइल तो कब का बदल दिया, मेमोरी कार्ड दो बार फॉरमेट भी किया कि दिमाग की तरह तुम उसपर भी न छा जाओ कहीं।हर  सोशल मीडिया साइट से तुम्हें उसी दिन हटा दिया था जिस दिन शादी तय हुई, डर था कहीं पति को भनक लग जाये।हाँ मैं डरने लगी हूँ बहुत सच मैं डरने लगी हूँ जितना मैं तुमसे प्यार करते समय निडर बन गई थी उतना ही अब डरती हूँ। 
जब तुमने पुराने नम्बर पे फ़ोन किया विश्वास नहीं हुआ लगा अब भी तुम मुझे याद करते हो,मैंने तो सिर्फ तुम्हें डायरी के पन्ने में जगह दी है, वो भी उस डायरी को एक पुराने डब्बे में दबा दिया है जहाँ वो कूड़ा जैसा दिखाई पड़ता ।तुम्हारी मेरी साथ कि हर तस्वीर माँ के घर छोड़ आई हूँ ,वहाँ उन्हें कोई नहीं देखेगा।
तुम्हें याद है मुझे लाल चूड़ियाँ बहुत पसंद है, तुमने वादा किया था शादी के बाद मुझे लाल चूड़ियाँ हर जन्मदिन पर तोहफ़ा दिया करोगे, सिंदूर भी लगाती हूँ अब चौड़ा जैसे तुमने छुपकर मेरी मांग भरी थी उस मंदिर में, मैंने घर जाकर पोछ दिया था, तीन चार बार आईना देखा बार बार देखा कहीं वो रंग न दिख जाए किसी को।

व्हाट्सएप के पुराने मैसेज कई बार लगातार पढ़ते थे तुम्हारे, लास्ट सीन चेक करते थे, सोचती थी कभी भी जब लास्ट सीन अलग हुआ तो लड़ जाऊँगी, आज तुम्हें ब्लॉक लिस्ट में किया।तुम्हें पता है फेसबुक पे तुम्हारी प्रोफाइल आज भी रोज़ चेक करती हूँ ,सोचती हूँ देखूं तो कितना बदले हो तुम?
क्या तुम भी ऐसा करते हो?
पति के डर से अब छुपके कभी कभी रो लिया करती हूँ बहुत सारे वादे, तोड़ दिए मैंने।

कॉफ़ी शॉप के बिल,सिनेमाघरों की टिकट सब फाड़ दी थी ,फिल्में याद है वो नहीं भूलती ,आइस क्रीम याद है जो साथ खाते थे हर फिल्म के बाद।तुमने वादा किया था कि शादी के पहले एक बार मिलना चाहते हो फिर कभी नहीं मिलोगे लेकिन मैं नहीं आयी।जानती हूँ तुमने इंतजार भी किया होगा ।हम एक दिन दो फिल्में जाते थे, शायद याद हो तुम्हें, कॉलेज से क्लास मिस करके ज़ू घूमने गए थे जहाँ हम दोनों ने साथ जीने मरने की कसमें खाई थी।मैंने कहा था मैं बात करूँगी घर में ,लेकिन सच बताऊँ मैंने बात की ही नहीं कभी ठीक से तुम्हारे लिए।
मुझे आज भी याद है मेरी तुम्हारी पहली डेट जिसे हम यूहीं बाहर मिलना कहकर चले गए थे, संडे को भी छुट्टी नहीं बोलकर एक दूसरे से मिलने के ठिकाने ढूंढते थे,हम इतना खो चुके थे एक दूसरे में की सोचते ही नहीं थे कभी बिछड़ेंगे तो क्या नाम देंगे इस रिश्ते का?लो मैंने दिया आज एक नाम ब्रेक अप ……… Parmjit Kaur Nilam Kumari Ridhima Rai Mamta Kumari Brajesh Kumar
मेरी एक पुरानी डायरी में अभी भी बसी है एक तस्वीर तुम्हारी, सिर्फ एक ,पुराना मोबाइल तो कब का बदल दिया, मेमोरी कार्ड दो बार फॉरमेट भी किया कि दिमाग की तरह तुम उसपर भी न छा जाओ कहीं।हर  सोशल मीडिया साइट से तुम्हें उसी दिन हटा दिया था जिस दिन शादी तय हुई, डर था कहीं पति को भनक लग जाये।हाँ मैं डरने लगी हूँ बहुत सच मैं डरने लगी हूँ जितना मैं तुमसे प्यार करते समय निडर बन गई थी उतना ही अब डरती हूँ। 
जब तुमने पुराने नम्बर पे फ़ोन किया विश्वास नहीं हुआ लगा अब भी तुम मुझे याद करते हो,मैंने तो सिर्फ तुम्हें डायरी के पन्ने में जगह दी है, वो भी उस डायरी को एक पुराने डब्बे में दबा दिया है जहाँ वो कूड़ा जैसा दिखाई पड़ता ।तुम्हारी मेरी साथ कि हर तस्वीर माँ के घर छोड़ आई हूँ ,वहाँ उन्हें कोई नहीं देखेगा।
तुम्हें याद है मुझे लाल चूड़ियाँ बहुत पसंद है, तुमने वादा किया था शादी के बाद मुझे लाल चूड़ियाँ हर जन्मदिन पर तोहफ़ा दिया करोगे, सिंदूर भी लगाती हूँ अब चौड़ा जैसे तुमने छुपकर मेरी मांग भरी थी उस मंदिर में, मैंने घर जाकर पोछ दिया था, तीन चार बार आईना देखा बार बार देखा कहीं वो रंग न दिख जाए किसी को।

व्हाट्सएप के पुराने मैसेज कई बार लगातार पढ़ते थे तुम्हारे, लास्ट सीन चेक करते थे, सोचती थी कभी भी जब लास्ट सीन अलग हुआ तो लड़ जाऊँगी, आज तुम्हें ब्लॉक लिस्ट में किया।तुम्हें पता है फेसबुक पे तुम्हारी प्रोफाइल आज भी रोज़ चेक करती हूँ ,सोचती हूँ देखूं तो कितना बदले हो तुम?
क्या तुम भी ऐसा करते हो?
पति के डर से अब छुपके कभी कभी रो लिया करती हूँ बहुत सारे वादे, तोड़ दिए मैंने।

कॉफ़ी शॉप के बिल,सिनेमाघरों की टिकट सब फाड़ दी थी ,फिल्में याद है वो नहीं भूलती ,आइस क्रीम याद है जो साथ खाते थे हर फिल्म के बाद।तुमने वादा किया था कि शादी के पहले एक बार मिलना चाहते हो फिर कभी नहीं मिलोगे लेकिन मैं नहीं आयी।जानती हूँ तुमने इंतजार भी किया होगा ।हम एक दिन दो फिल्में जाते थे, शायद याद हो तुम्हें, कॉलेज से क्लास मिस करके ज़ू घूमने गए थे जहाँ हम दोनों ने साथ जीने मरने की कसमें खाई थी।मैंने कहा था मैं बात करूँगी घर में ,लेकिन सच बताऊँ मैंने बात की ही नहीं कभी ठीक से तुम्हारे लिए।
मुझे आज भी याद है मेरी तुम्हारी पहली डेट जिसे हम यूहीं बाहर मिलना कहकर चले गए थे, संडे को भी छुट्टी नहीं बोलकर एक दूसरे से मिलने के ठिकाने ढूंढते थे,हम इतना खो चुके थे एक दूसरे में की सोचते ही नहीं थे कभी बिछड़ेंगे तो क्या नाम देंगे इस रिश्ते का?लो मैंने दिया आज एक नाम ब्रेक अप ……… Parmjit Kaur Nilam Kumari Ridhima Rai Mamta Kumari Brajesh Kumar