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क्यों दर दर भटकता है तू  अपनी मांगों के लिए  क्यो

क्यों दर दर भटकता है तू 
अपनी मांगों के लिए 

क्यों रोज अड्डे बदलता है तू 
अपनी चाहतों के लिए 

क्यों तू उस इंसान के पास जाता है 
जो खुद अल्लाह के भिखारी है 

अरे ये तो बस एक व्यापार है 
असल में इनका हाथ भी खाली है #NojotoQuote #hindipoem
#sukhbirsinghalagh
क्यों दर दर भटकता है तू 
अपनी मांगों के लिए 

क्यों रोज अड्डे बदलता है तू 
अपनी चाहतों के लिए 

क्यों तू उस इंसान के पास जाता है 
जो खुद अल्लाह के भिखारी है 

अरे ये तो बस एक व्यापार है 
असल में इनका हाथ भी खाली है #NojotoQuote #hindipoem
#sukhbirsinghalagh