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#OpenPoetry अजन्मी बेटी की पुकार प

#OpenPoetry                अजन्मी बेटी की पुकार 
पापा दादी को आज मना लो,
बिना जुर्म ना मुझको सजा दो,
किसी मजबूरी की न बांधो जंजीर,
मेरी गर्दन से अपने हाथ हटा लो,
तेरे आंसुओ को पीना हैं 
मां मुझको भी जीना है।
 तुम्हारी नींद का रखूंगी ख्याल , पहले सोऊंगी 
वादा है, भूख से कभी नही रोउंगी 
 तुमसे टूटा दादी का चश्मा आपने नाम लगा लुंगी ,
डाट या मार पापा की मैं खा लुंगी ,
तुम्हारे बिखरे सपनो को सीना है 
माँ मुझको भी जीना हैं । 
तुम काम वाली बाई को हटा देना,
पढ़ लुंगी घर पर स्कूल क़े पैसे बचा लेना,
तन ढक जाए बस इतने कपड़े सिला देना,
रोज जेब ख़र्च नही बस जन्मदिन पर एक आईसक्रीम खिला देना
कैसा कठोर फैसला तुमने लीन्हा है,
माँ मुझको भी जीना है।
झुक जाए ये आंसमा कुछ ऐसा काम करूँगी,
गर्व करोगी, जग में रोशन तुम्हारा नाम करूँगी, 
पापा को नही होगा पश्चाताप,
उनका दांया हाथ तो कभी उनकी लाठी बनूगी,
पोंछ लो माथे पर आया जो पसीना है,
माँ मुझको भी जीना है। #OpenPoetry 
#maa#Love
#OpenPoetry                अजन्मी बेटी की पुकार 
पापा दादी को आज मना लो,
बिना जुर्म ना मुझको सजा दो,
किसी मजबूरी की न बांधो जंजीर,
मेरी गर्दन से अपने हाथ हटा लो,
तेरे आंसुओ को पीना हैं 
मां मुझको भी जीना है।
 तुम्हारी नींद का रखूंगी ख्याल , पहले सोऊंगी 
वादा है, भूख से कभी नही रोउंगी 
 तुमसे टूटा दादी का चश्मा आपने नाम लगा लुंगी ,
डाट या मार पापा की मैं खा लुंगी ,
तुम्हारे बिखरे सपनो को सीना है 
माँ मुझको भी जीना हैं । 
तुम काम वाली बाई को हटा देना,
पढ़ लुंगी घर पर स्कूल क़े पैसे बचा लेना,
तन ढक जाए बस इतने कपड़े सिला देना,
रोज जेब ख़र्च नही बस जन्मदिन पर एक आईसक्रीम खिला देना
कैसा कठोर फैसला तुमने लीन्हा है,
माँ मुझको भी जीना है।
झुक जाए ये आंसमा कुछ ऐसा काम करूँगी,
गर्व करोगी, जग में रोशन तुम्हारा नाम करूँगी, 
पापा को नही होगा पश्चाताप,
उनका दांया हाथ तो कभी उनकी लाठी बनूगी,
पोंछ लो माथे पर आया जो पसीना है,
माँ मुझको भी जीना है। #OpenPoetry 
#maa#Love