भंडी दिनु बटी स्वीणों मा कुई मिथैं सताणु च, जख भी हेरदी आँखी मेरी मैं वै कु रुप दिखेणु च आछंरी जन वु छा कुई मन मेरु कखि हरी ली ग्यै, वै की छुयों कु मिठु गुमणाट सब जगह सुणेणु च। ऊँचा-ऊँचा डाँडो की ठंडी, ह्यूं की बंथौ सी वु मिं थै धर्मयाला आगाश मां घुघती जनु उडाणु च। खोजदी रणु वै सणि पर पता नी कख लुकि जान्दू, लोग पुछणा छन मिथैं , तेरु मन कख जाणु च। सुणा अब नी रै ग्यों मैं 'अनाम' वै कु नौ मिलीगे मैं मेरी जिकुडी मां बैठ्यूं वु बौल्या जनु मैं हँसाणु च। ट्राई मारनू च 😂 भंडी दिनु बटी स्वीणों मा कुई मिथैं सताणु च, जख भी हेरदी आँखी मेरी मैं वै कु रुप दिखेणु च बहुत दिनों से ख्यालों में कोई मुझे सता रहा है