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" चाय फीकी पर जाती थी, उसकी मीठी बातों के सामने,

" चाय फीकी पर जाती थी, उसकी मीठी बातों के सामने,
    अक्सर अब चाय की टेबल पर कुछ तमन्नाएँ रह जाती है।"

" वीराना सा लगता है ज़िंदगी का बगीचा, फ़राज़ 
जब से मोहब्बत का माली गुज़रा है ।"

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©Shayar_nir.ix
  चाय फीकी पर जाती थी, उसकी मीठी बातों के सामने,
अकसर अब चाय की टेबल पर कुछ तमन्नाएँ रह जाती है।

वीराना सा लगता है ज़िंदगी का बगीचा,
जब से मोहब्बत का माली गुज़रा है,नीर!#eveningtea #शायरी #Nojoto
sahidachoudhary6630

Shayar.ix

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चाय फीकी पर जाती थी, उसकी मीठी बातों के सामने, अकसर अब चाय की टेबल पर कुछ तमन्नाएँ रह जाती है। वीराना सा लगता है ज़िंदगी का बगीचा, जब से मोहब्बत का माली गुज़रा है,नीर!eveningtea शायरी Nojoto

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