खुशियों का पर्व मकर संक्रांति के रूप में पहल करके आया। नहान के पावन जोग में जोगियां मंडली को जप में लीन पाया। भक्तन की टोली में तरह तरह के उद्घोष ने वातावरण शुद्ध बनाया। संगम के स्नान ध्यान के पश्चात "लेटे हुए हनुमान जी" के दर्शन से मुक्ति अपनाया।। मकर-संक्रान्ति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है, इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्व है। इस दिन गंगा स्नान व सूर्योपासना पश्चात गुड़, चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है। कैप्शन ध्यानपूर्वक पढ़ें